श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध (shri krishna janmashtami essay in hindi)



 श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर निबंध (shri Krishna janmashtami essay in hindi)


श्री कृष्ण जन्माष्टमी हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण  त्यौहार है। इसे भारतवर्ष में बड़े ही हर्ष एवं उल्लास के साथ मनाया जाता है।

 इस त्यौहार को भगवान् श्री कृष्ण के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। 

यह हिन्दू  कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद माह  के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है।

इस पर्व को अनेकों नामों से जाना जाता है जैसे की कृष्ण जयंती ,गोकुलाष्ठमी , श्री कृष्ण जयंती, श्री जयंती 
इस वर्ष श्री कृष्णा जन्माष्टमी 2 सितम्बर 2018 को पड रही है।

अगर आप भी एक विद्यार्थी है और आपके अध्यापक ने कार्य के रूप में आपको श्री कृष्ण जन्माष्टमी
पर निबंध (shri krishna janmashtami essay in hindi) लिखने को कहा है तो इस लेख को पढ़ना न भूले। 

तो आइये शुरू करते है। 


जन्माष्टमी पर निबंध (Janmashtami Essay in Hindi)


जन्माष्टमी का पावन पर्व भगवान श्रीकृष्ण  की पवित्र स्मृति मेँ, उनके जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है ।

 इस पर्व का सम्बन्ध समग्र हिन्दू समाज के साथ है । जन्मष्टमी का त्यौहार भाद्रपद के महीने में कृष्ण  पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है ।

आज से लगभग पांच हज़ार वर्ष पूर्व इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्म आधी रात के समय हुआ था । यह धार्मिक त्यौहार तभी से मनाया जाता रहा है । इस धार्मिक पर्व को मनाने  के लिए आस्थावान लोग काफी समय पहले से ही तैयारी आरम्भ कर देते है ।

ये लोग बडे  ही प्रेम व श्रद्धा से व्रत रखते हैं । रात्रि  को भगवान के मन्दिरों में जाकर पूजा - अर्चना करते हैं । आधी रात के समय जब श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था, मन्दिरों में शंख, घंटे -घडियाल आदि बजाकर  हर्ष प्रकट किया  जाता है और प्रसाद बाँटा जाता है ।

इस प्रसाद को ग्रहण करकें  भक्तजन अपना व्रत  तोड़ते है  । जन्माष्टमी के दिन ग्रामों तथा नगरों में अनेक स्थानो पर झूले व झाँकियाँ  आदि का प्रदर्शन होता है ।

इस अवसर के  कई दिन पूर्व से ही विविध प्रकार के मिष्ठान्न आदि बनाये जाने प्रारम्भ हो जाते हैं । इस दिन मन्दिरों की शोभा तो देखते ही बनती है । मन्दिरों पर रंगीन बल्बों  की रोशनी  की जाती है ।

मन्दिरों की शोभा विशेष रूप से श्रीकृष्ण कें  जन्मस्थान मधुरा तथा वृन्दावन में देखने योग्य  होती है । अनेक देवालय  एबं धार्मिक स्थानों पर इस दिन गीता का अखण्ड पाठ चलता है ।

 भारतवर्ष कें  हिन्दू समाज में इस महान पर्व का आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक दोनों तरह का विशिष्ट महत्त्व है । यह त्यौहार  हमें आध्यात्मिक एबं लौकिक संदेश देता है । यह त्यौहार हर वर्ष नई प्रेरणा, नए उत्साह और नए-नए संकल्पों के लिए हमारा मार्ग प्रशस्त करता  है ।


यह  त्यौहार हमें जहाँ एक ओर श्रीकृष्ण कें  बाल रूप का स्मरण कराता  है वहीं दूसरी ओर  अपना उचित अधिकार पाने के  लिए कठोर संघर्ष और निष्काम कर्म के महत्त्व की शिक्षा भी प्रदान कस्ता है ।

अत: हमारा कर्त्तव्य  है कि हम जन्माष्टमी कें  पवित्र दिन भगवान श्रीकृष्ण कें  चरित्र के गुणों को 'ग्रहण करने का व्रत लें और अपने जीवन को सार्थक बनाऐँ ।

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